- हमेशा लग्न कुंडली पर ही ध्यान दिया जाना चाहिए I लग्न राशि ही ज्यादा महत्वपूर्ण होती है I
- कुण्डली में महादशा और अन्तर्दशा का अच्छा या बुरा प्रभाव केवल और केवल जन्म लग्न कुंडली से ही किया जाता है I
कभी भी किसी जातक को रत्न धारण करने का सुझाव राशि अनुसार नहीं दिया जाता है I चन्द्रमा की स्थित से ही हमें राशि के बारे में पता चलता है I राम और रावण की, कृष्ण और कंश की राशि भी एक ही थी लेकिन दोनों के गुणों में जमीन आसमान का अन्तर था I
- राशि का महत्व कभी भी रत्न धारण करने के लिए नहीं होता है I राशि का महत्त्व केवल ढैय्या और साढ़ेसाती निर्धारण करने के लिए ही होता है I
- राशि का महत्व कुण्डली मिलान में ग्रह-मैत्री के लिए होता है I क्यूंकि चन्द्रमा मन का कारक ग्रह है और मिलान में इसी राशि को मिलाना अनिवार्य है I
- वर्गीय कुण्डली के अनुसार रत्न कभी भी धारण नहीं किया जाता है I
जिस ग्रह का रत्न धारण किया जाता है, उस ग्रह का दान नहीं किया जाता है I
जिस ग्रह का दान किया जाता है, उस ग्रह का रत्न धारण नहीं किया जाता है I
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- वाहन किसी भी रंग का हो परन्तु यह बनता लोहे से ही है, इसलिए यह शनि – राहु का स्वरूप ही होता है I इसलिए रंग का वहम नहीं करना चाहिए I
- वक्रीय ग्रह का ये मतलव नहीं होता की वह अच्छे फल आरम्भ कर देगा या बुरे फल देना आरम्भ कर देगा या बुरे फलों में कमी लाएगा I वक्रीय का अर्थ होता है कि गृह का प्रभाव तीन गुना बढ़ जाना I
- वक्रीय ग्रह का अर्थ यह कदापि नहीं है कि ग्रह पिछले भाव के फल देगा I
पति – पत्नी के बीच यदि रिश्ते ठीक नहीं हैं तो बैडरूम में कृष्ण भगवान की फोटो उत्तर दिशा वाली दीवार पर अवश्य लगाएं I बैडरूम में सिर्फ कृष्ण भगवान की फोटो होनी चाहिए I कृष्ण भगवान के बाद ही इस पृथ्वी पर प्रेम आया था इसलिए रिश्तों में मिठास के लिए कृष्ण भगवान की फोटो अवश्य लगाएं I
- ग्रहों का अंशमात्र बलाबल देखने के बाद ही उसके अच्छे या बुरे प्रभाव का निर्णय करें I
- सुबह अपने इष्ट ग्रह/देव को प्रणाम प्रणाम हर जातक को करना चाहिए I
पंचम भाव का स्वामी ही आपका इष्ट देव होता है I
- ग्रहों के उपाय के साथ – साथ अगर पूर्ण फल लेना है तो उस ग्रह से जुड़े रिश्ते को भी सुधारना चाहिए I
अगर आपको अपने जन्म समय का सही ज्ञान न हो तो किसी भी ग्रह का रत्न धारण करना वर्जित माना जाता है I
- आपस में शत्रु ग्रहों के रत्नो को एक साथ धारण नहीं किया जाता I
- अगर रत्न गलत धातु में धारण किये जाएँ तो वह अपना प्रभाव नहीं देता है I
- गलत उंगली में डाला गया रत्न भी अपना प्रभाव नहीं देता I बल्कि गलत उंगली में पहना गया रत्न हानिकारक होता है I
रत्न पहनने का अर्थ केवल उनका बल बढ़ाना है I लोग रत्नों से एक चमत्कार की अपेक्षा रखते है I जोकि सत्य नहीं है I
- किसी भी ग्रह की वस्तु के दान करने का अर्थ यह होता है कि उस ग्रह के प्रभाव को काम करना होता है
- सूर्य देव को हमेशा सदा जल देना चाहिए I उसमे कोई भी चीज़ नहीं डाली जाती I सूर्य को जल देने का अर्थ है कि सूर्य की किरणें छन्न कर हमारे शरीर में प्रवेश करती हैं और उसके मारक प्रभाव को कम करती हैं I किसी भी चीज़ को जल में डालने से उसका महत्त्व कम हो जाता है ! सूर्य देव को जल तभी दें जब वह कुंडली के मारक गृह हों !
पीपल को जल शनिवार को किसी भी समय दिया जा सकता है I उसमें समय की कोई पाबन्दी नहीं होती है I पीपल हर समय जागने वाला वृक्ष है और २४ घंटे ऑक्सीजन गैस छोड़ता है I पीपल को भी सदा जल चढ़ाया जाता है I कच्ची लस्सी या कोई भी चीज का उसमे डालना कोई महत्त्व नहीं रखता I उल्टा उसकी जड़ को खराब करता है जिसका प्रभाव अशुभ होता है I
- शनि देव, राहु देव और केतु देवता का पाठ सूर्यास्त के बाद या सोने से पहले किया जाता है क्यूंकि ये देवता सूर्यास्त के बाद ही उदय होते है ! ऐसी तरह इनका दान भी सूर्यास्त के बाद ही होता है ! परन्तु अमावस्या वाले दिन सारे दिन में किसी भी समय हम शनि देव, राहु देव, केतु देव का पाठ और दान कर सकते हैं क्यूंकि अमावस्या होती ही शनि देव जी की है ! वोह सारा दिन उपस्थित रहते हैं !
- किसी भी जातक की कुण्डली में ग्रहण योग (सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण) है तो उस ग्रह का पाठ या दान ग्रहण वाले दिन करना प्रभावशाली होता है !
- किसी भी ग्रह की महादशा, अन्तर्दशा या प्रत्यन्तर्दशा में उसका पाठ स्वम करना चाहिए जोकि ज्यादा असरकारी है ! अगर पाठ कारक ग्रह की दशा का है तो वह शुभ फलदाई है ! यदि मारक ग्रह की महादशा है तो उसका पाठ सही राह दिखाता है और उसके मारकत्व को कम करता है !
कुण्डली के पंचम घर का स्वामी जातक का इष्ट ग्रह (इष्ट देव) होता है I उसका पाठ किसी भी दशा या खराब गोचर में हमेशा लाभकारी होता है I
- स्वर्ग सिधार चुके पूर्वजों की फोटो हमेशा दक्षिण – दिशा की दीवार पर लगाएं I उनको प्रतिदिन प्रणाम करना सर्वदा फलदाई होता है I इससे उनका आशीर्वाद मिलता है I
राहु और केतु ग्रह का रत्न कभी भी किसी जातक को नहीं धारण करना चाहिए I क्यूंकि इन ग्रहों के कारक तत्व गलत हैं I
- केले के वृक्ष को सदैव सदा जल से सींचा जाता है I कभी भी उसमें हल्दी या अन्य पदार्थ ना डालें I
- किसी भी ग्रह का उपाय घर की चार दिवारी में नहीं करना चाहिए I जैसे चीटियों को कुछ भी डालना I सिर्फ बाजरा घर की छत पर डाला जा सकता है I
- कभी भी किसी गरीब को दान में पैसे ना दें I कुछ खाने की चीज दें I पैसे से वह कुछ भी गलत चीज खरीद कर उसका सेवन करेगा तो उसके जिम्मेदार आप होंगे I उसका गलत प्रभाव आप पर भी पड़ेगा I यदि वह खाने वाली वस्तु फेंक भी देता है तो उसे चीटियाँ वगैरा खा जाएँगी I तो इससे आप पर भी अच्छा प्रभाव होगा I
रत्न धारण करने से कोई चमत्कार नहीं होता बल्कि जिस ग्रह की किरणों की कमी आपके शरीर में है वह उसे पूरी करता है I
- रत्न कभी भी गोचर या दशा, अन्तर दशा देख कर नहीं पहना जाता अपितु जन्म लग्न कुण्डली में स्थित ग्रहों की स्थित को देख कर पहने जाते हैं I
- किसी भी ग्रह के पाठ – पूजन और मंत्र उच्चारण से उस ग्रह का बल नहीं बढ़ता है बल्कि प्रसन्न होकर वह वह ग्रह आशीर्वाद देता है I
- बल बढ़ाने के लिए ग्रह से सम्बंधित रत्न धारण किया जाता है I उसी ग्रह से सम्बंधित खाने – पीने की वस्तुओं का सेवन करने और रंग धारण करने से भी ग्रह का बल बढ़ जाता है I
- दीवार पर लगी हुई घड़ी कभी भी रुकी हुई नहीं होनी चाहिए यह अशुभता की निशानी है I
- घर के पानी वाले नल टपकते या बहते हुए नहीं होने चाहिए उससे घर की बरकत में रूकावट आती है I
- राहु देव अगर कुण्डली में खराब हों तो नमक के पौंछे लगाना चाहिए ! इससे राहु देव शांत होते हैं I
- मानसिक परेशानी दूर करने के लिए मोर पंख की हवा लेनी चाहिए I
- किसी भी ग्रह का पाठ कोई भी कर सकता है ! शनि मंदिर में जाकर कोई भी माथा टेक सकता है I
- घर का कबाड़ और रद्दी का सामान घर की छत पर नहीं होना चाहिए I
- घर में लगाने वाला झाडू भी खुले में न पड़ा हो ! यह अशुभता का सूचक है I
- सोते समय फोन ३ फुट दूर होना चाहिए I
- पानी का गिलास और फोन पास-पास नहीं होना चाहिए I
- दक्षिण दिशा की तरफ सिर करके सोना चाहिए I
- सुबह उठते ही उत्तर दिशा की तरफ प्रणाम करने से कुबेर देवता प्रसन्न होते हैं तथा घर में धन की बरकत का वातावरण बनता है I
- बच्चो का मुख पढ़ाई करते समय पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए I
- बच्चों को तुलसी के पौधे को जल देने से बुद्धि का विकास होता है I
- घर में कैलेंडर पिछले महीने का नहीं होना चाहिए I
- यदि संभव हो तोह घर में उत्तर-पश्चिम दिशा में मछली -घर अवश्य रखें I
- घर में लगी तश्वीरें क्रूर पशु – पक्षी की या युद्ध या विनाश दर्शाने वाली नहीं होना चाहिए I सभी तश्वीरें प्रसन्नता का प्रतीक या प्रदर्शन करने वाली होनी चाहिए I
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I am a big fan of you sir…. 🙂 Etna achha knowledge aapne provide kiya … 🙂 Many Many thanks Sir
Dear Somvir ji, Your articles are awesome and you provide a great knowledge to us about astrology. Keep it up. Appreciated and I always talk about your app with friends.
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Very Nice Content. Useful ..!
Great Knowledge …
Very good …:)
very nicely explained sir.
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Bahut badiya sir… 3k esa gyan joh aajtak nhi mila, lekin aap ne ham sab par kripa karke etni achhi knowledge aapne share ki… aapke sabhi article bahut hee achhhe hain… scientific approach
बहुत बढ़िया और ज्ञान वर्धक पोस्ट है।
धन्यवाद सर्
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धन्यवाद सर्
Thank You for your appreciations 🙂