- सूर्य देव इस लग्न कुण्डली में 6th भाव के स्वामी होने के कारण रोगेष हैं l
- इस लग्न कुण्डली वाले जातक को सूर्य का रत्न माणिक धारण करना वर्जित माना जाता है l
- सूर्य देव के दान व पाठ करके जातक रोगों को कम कर सकता है l
- सूर्य देव को जल देकर भी रोगों को कम करने मे सहायता मिलती है l
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रोगों के कारक ग्रह :
सूर्य देव : हड्डिओं के रोग, ह्रदय रोग, आँखों सम्बन्धी रोग I
- चन्द्र देव : मानसिक रोग, आँखों के रोग, शरीर व पेट के जल सम्बन्धी रोग, निमोनिया, फेफड़ो के रोग
- मंगल देव : खून से सम्बंधित रोग, ब्लड प्रेसर, शुगर, थायरॉइड, कॉलिस्ट्रोल, शारीरिक शक्ति, माँसपेशिओ के रोग
- बुध देव : त्वचा से सम्बंधित रोग, यादाश्त सम्बन्धी रोग, दिमाग सम्बन्धी रोग, तुतलाना, हकलाना, व कंठ के रोग l
- बृहस्पति देव : लीवर, चर्बी, किडनी, मोटापा सम्बन्धी रोग l
- शुक्र देव : गुप्तांग सम्बन्धी रोग, नपुंसकता l
- शनि देव : शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द, लम्बी बीमारी I
- राहु देव : सभी तरह की संक्रामकता, कुष्ठ रोग, अपगता, पागलपन, वहम l
- केतु देव : रीढ़ की हड्डी, हड्डिओं के बीच में तरलता, कैंसर, बबासीर, फोड़े- फुन्सी, दाँत सम्बन्धी रोग l
सूर्य देव के दान व उपाय: (रविवार को करना है)
- रोजाना सूर्य देव को जल देना, तांबे का सिक्का जल प्रवाह करना, शक्कर चींटियों को डालना, ब्रह्म देव की उपासना करना, माणिक जल प्रवाह करना l
- नोट:- पिता या पिता तुल्य व्यक्तियों से मधुर संबंध रखना l
- सूर्य देव के मंत्र का जाप करें l (ऊँ सूर्याय नम: )
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Very Nice 🙂 thank sir for providing great knowledge.