ग्रहों का विश्लेषण तथा कारक भाव

हमारे सौर्य मंडल में अनगिणत ग्रह हैं l लेकिन हमारे शरीर पर जिन 9 ग्रहों का प्रभाव पड़ता है, ज्योतिष शास्त्र में उन्हीं 9 ग्रहों का अध्यन किया जाता है जो इस प्रकार हैं :

  1. सूर्य                                6.   शुक्र
  2. चन्द्रमा                            7.   शनि
  3. मंगल                              8.   राहु (छाया ग्रह)
  4. बुध                                 9.   केतु (छाया ग्रह)
  5. गुरु (बृहस्पति)

ग्रहों से आने वाली किरणें हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं I सभी ग्रहों से कई चीजें जुडी हुई हैं, हमारा शरीर तथा समाज भी ग्रहों से जुड़ा हुआ है I सभी गृह हमारे शरीर में किसी न किसी चीज का प्रतिनिधित्व करते हैं I

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सूर्य ग्रह :

Sun is the only source of energy on the Earth.

इसलिए सूर्य देव को उत्पत्ति का कारक गृह माना जाता है । सूर्य देव हमारे जीवन में पिता के कारक गृह माने जाते हैं ।
(सूर्य देव = आत्मा कारक गृह)

हमारे शरीर में सूर्य देव हड्डियों तथा हृदय का कारक गृह माने जाते हैं । हमारे हृदय की पूरी कंट्रोलिंग पावर सूर्य देव के पास है ।
सूर्य देव के तेज़/ऊर्जा से ही पृथ्वी पर सारी जीवात्मा चलती है । हमारे शरीर को चलाने में सूर्य देव का बहुत योगदान माना जाता है । इसी वजह से सम्पूर्ण श्रष्टि दिन में काम करती है तथा सूर्यास्त के बाद हमारे शरीर में ऊर्जा का प्रभाव कम हो जाता है इसी कारण से रात के समय में सम्पूर्ण जीवात्मा को नींद आती है ।

सूर्य देव के कारकेत्व: पिता, मान – यश, सरकारी नौकरी, आत्मा, दिल, हड्डियां, प्रशासन, जीव l

सूर्य देव के कारक भाव: प्रथम भाव (1st) , पंचम भाव (5th), नवम भाव (9th)

चन्द्र ग्रह :

  • चन्द्र देव मन तथा माता के कारक ग्रह हैं।
  • हमारे शरीर में तरलता के कारक हैं।
  • चन्द्र ग्रह हमारे सौर्यमंडल में सबसे तेज़ चलने वाला ग्रह है। इसलिए हमारा मन बहुत तेज भागता है, मन का पीछा कोई भी इन्सान नहीं कर सकता है।
  • हमारा मन 24 घंटे में हजार तरह के रिएक्शंस देता है। जैसे किसी बुजुर्ग इन्सान को देखते है तोह दया भावना आती है, किसी बच्चे को देखते हैं तोह प्यार आता है, कोई हमें गाली दे तोह गुस्सा आता है ।

चन्द्रमा के कारकेत्व: माता, मानसिक स्थित, तरलता, मन की शांति, भावनाएं, अशांत मन, सबसे तेज़ चलने वाला ग्रह l

चन्द्रमा का कारक भाव: चतुर्थ भाव (4th House)

मंगल ग्रह :

मंगल ग्रह हमारे शरीर के कारक ग्रह माने जाते हैं तथा शरीर में रक्त के भी कारक ग्रह माने जाते हैं l इसलिए आपने देखा होगा कि अखाड़े में हनुमान जी की फोटो जरूर होती हैं l
  • मंगल छोटे भाई के भी कारक ग्रह माने जाते हैं I
  • मंगल की सकारात्मक किरणें ही हमें हौसला देती हैं तथा एक Bold Personality बनाती हैं I इसलिए हम मंगल ग्रह से इन्सान की Boldness देखते हैं I
  • बहुत सरे लोग मरने – मारने पर आ जाते हैं क्यूंकि उनका मंगल बलि होता है I जिस ग्रह की डिग्री 12-18 होती है हम उसे बलि (Strong) कहते हैं I
  • मंगल ग्रह देवताओं के सेनापति माने जाते हैं I

मंगल की विवाह के समय बहुत महत्ता होती है क्यूंकि मंगल हमारी Physical Body को Represent करते हैं तथा विवाह के समय पर हमारे शरीर का स्वस्थ होना अति अनिवार्य होता है I

हमारी Next Generation की उत्पत्ति के लिए भी मंगल को देखा जाता है इसलिए विवाह के समय पर मांगलिक देखा जाता है I यदि किसी जातक/जातिका की शादी किसी मांगलिक जातक/जातिका से कर दी जाए तोह मांगलिक जातक/जातिका का शरीर अशुभ हो जाता है सरल भाषा में कहें तोह मांगलिक जातक/जातिका के शरीर में रक्त ख़राब होना शुरू हो जाता है और शरीर में बीमारियाँ आना शुरू हो जाती हैं, कभी कभी तोह मांगलिक जातक/जातिका की मृत्यु तक हो जाती है (It Depends on the degree of Mars). हालाँकि बहुत कम ही लोग मांगलिक होते हैं ज्यादातर Cases में मांगलिक योग Cancelled हो जाता है I इसलिए कुंडली मिलान सटीकता से किया जाना चाहिए I

  • मंगल रक्त के कारक ग्रह होने के कारण इन्सान को Agressive तथा भड़कीला बना देते हैं (It depends on the degree of Mars).
  • मंगल भूमि पुत्र हैं इसलिए मंगल को खली जगह का भी कारक माना जाता है I
  • मंगल ग्रह दुर्घटनाओं के भी कारक माने जाते हैं क्यूंकि मंगल का तृतीया भाव तथा छठा भाव कारक माना जाता है I

मंगल ग्रह के कारकेत्व: छोटे भाई, सेनापति, खून का कारक, हिम्मत, हौसला, भड़कीला स्वभाव, शारीरिक क्षमता, भूमि पुत्र, खली जगह का कारक, दुर्घटना l

मंगल ग्रह के कारक भाव : तृतीया भाव (3rd House) , छठा भाव (6th House)

बुध ग्रह :

बुध ग्रह पृथ्वी पर प्रकृति के कारक ग्रह हैं, बुध ग्रह की वजह से ही हमें हरे पेड़/पौधे तथा हरी सब्जी मिलती हैं I

बुध देव के कारक:

  • बुध देव बुद्धि के कारक ग्रह माने जाते हैं तथा हमारे शरीर में चमड़ी (त्वचा) के कारक माने जाते हैं I
  • बुद्धि, वाणी, व्यवसाय, लेन-देन के कारक माने जाते हैं I
  • कंजक देव (१२ साल से कम उम्र की कन्या)
  • छोटी बहिन
  • मामी, मौसी, बुआ, ताई, चाची के कारक माने जाते हैं I

किसी इन्सान की वाणी का अच्छा होना या खराब होना, कुण्डली में बुध देव के योग कारक/मारक होने पर निर्भर करता है I यदि कुण्डली के द्वितीय भाव में समस्या है तथा बुध देव मारक ग्रह हैं तोह ऐसे जातक/जातिका को बोलने में दिक्कत होती है I

बुध देव के कारक भाव : चतुर्थ भाव (4th House) , दशम भाव (10th House)

गुरु (बृहस्पति) ग्रह (देव गुरु) :

बृहस्पति भ्रमांड का सबसे अच्छा ग्रह होता है ! दुनिया का कोई भी इन्सान देव गुरु के बिना नहीं चल पाता है क्यूंकि देव गुरु :
  • ज्ञान का कारक है I
  • पैसों तथा खुशी का कारक है I
  • महिलाओं के लिए पति तथा पिता का कारक ग्रह होता है I
  • औलाद का कारक है I
  • बड़े भाई का कारक होता है I
  • हमारे समाज में मान-यश का कारक है I
  • लाभ का कारक है I
  • धर्म का भी कारक माना जाता है I
  • हमारे शरीर में चर्वी (Fat) का कारक है I
  • मोटापा का कारक माना जाता है I

बृहस्पति ग्रह के कारकेत्व: देव गुरु, सबसे अच्छा ग्रह, औलाद का करक, भाग्य, कर्म का कारक, लाभ, पति का कारक, मान, यश, धर्म, बड़े भाई, चर्बी, मोटापा, पैसा, ज्ञान I

बृहस्पति के कारक भाव: द्वितीय (2nd House), पंचम भाव (5th House), नवम भाव (9th House), दशम भाव (10th House), एकादश भाव (11th House)

शुक्र ग्रह (दानव गुरु) :

शुक्र ग्रह को समाज में हर क्लेश का कारण माना जाता है Iक्यूंकि शुक्र देवता सभी भोग योग्य वस्तुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं I मतलब गाड़ी, कपड़ा, मोबाइल, सभी Consumable Items /Goods शुक्र देव से जुडी हुयी हैं I और कहीं न कहीं यही सब वस्तुएं क्लेश का कारण बनती हैं I

  • कभी आपने देखा है कि दो भाइयों में लड़ाई हो रही हो कि पिता जी आपने छोटे भाई को ज्यादा आशीर्वाद दिया और मुझे कम आशीर्वाद दिया, आपने नहीं देखा होगा I
  • हमेशा दो भाइयों में लड़ाई हो रही होगी कि मुझे ये चीज कम मिली और उसे ज्यादा मिली I मेरे माँ-बाप मझसे प्यार नहीं करते हैं I क्यूंकि सारी भोग योग्य वस्तुएं शुक्र ग्रह से सम्बंधित हैं जोकि दानव गुरु हैं, इसलिए कहीं न कहीं हर क्लेश के कारण “दानव गुरु” बन जाते हैं I
  • कला, संगीत, खुशबू, चलचित्र (सिनेमा), गहनें, साज – सजावट, फैशन, सुख-सुविधाएँ, कामक्रीङा, सेक्स सिस्टम, प्रेम प्रसंग, सुगन्धित पदार्थ का कारक शुक्र देव को माना जाता है I
  • संतान उत्पत्ति के लिए शुक्र बहुत जरुरी होता है I

शनि ग्रह:

धर्मग्रंथो के अनुसार सूर्य की पत्नी संज्ञा की छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ, जब शनि देव छाया के गर्भ में थे तब छाया भगवान शंकर की भक्ति में इतनी ध्यान मग्न थी की उसने अपने खाने पिने तक शुध नहीं थी जिसका प्रभाव उसके पुत्र पर पड़ा और उसका वर्ण श्याम हो गया I शनि के श्यामवर्ण को देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाया की शनि मेरा पुत्र नहीं हैं I तभी से शनि अपने पिता से शत्रु भाव रखते थे I शनि देव ने अपनी साधना तपस्या द्वारा शिवजी को प्रसन्न कर अपने पिता सूर्य की भाँति शक्ति प्राप्त की और शिवजी ने शनि देव को वरदान मांगने को कहा, तब शनि देव ने प्रार्थना की कि युगों युगों में मेरी माता छाया की पराजय होती रही हैं, मेरे पिता सूर्य द्वारा अनेक बार अपमानित किया गया है I अतः माता की इच्छा है कि मेरा पुत्र अपने पिता से मेरे अपमान का बदला ले और उनसे भी ज्यादा शक्तिशाली बने I तब भगवान शंकर ने वरदान देते हुए कहा कि नवग्रहों में तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ स्थान होगा I मानव तो क्या देवता भी तुम्हरे नाम से भयभीत रहेंगे I

शनिदेव को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी I इसलिये उन्हें मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है। शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करते हैं, और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करते हैं। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, गलत काम करते हैं, शनि केवल उन्ही को दण्डिंत (प्रताडित) करते हैं।

शनि की साढ़ेसाती और ढैया में ज्यादातर लोगों को काफी परेशानी होती है, दुःख, तकलीफ का सामना करना पड़ता है क्यूंकि शनि देव साढ़ेसाती और ढैया में ही कर्मो का न्याय करते हैं, हमारे संचित कर्मो का फल देते हैं I इसलिए इन्सान को पूर्व की तरह चेहरा करके उनसे क्षमा माँगनी चाहिए I शनि देव का पाठ पूजन सूर्यास्त के बाद ही करें क्यूंकि शनि देव अँधेरे के कारक हैं I

शनि देव की मान्यता बहुत ज्यादा है यदि किसी के पास कुण्डली नहीं है तो शनि चालीसा ले लो और नियमित रूप से सूर्यास्त के बाद पढ़ना शुरू कर दें, पीपल के पेड़ को जल दें, सरसों के तेल का दीपक जलाएं तथा उनसे सुखना अवश्य मांगे I

  • शनि देव दुःख, तकलीफ, परेशानी के कारक हैं I
  • धरती के गर्भ में जितना भी कोयला, हीरे हैं वो सब शनि देव की गर्मी के कारण बनते हैं I
  • शनि देव, तरलता जैसे Chemicals, Petroleum Products, Alcohol तथा लोहे के कारक माने जाते हैं I

शनि ग्रह के कारकत्व: निम्न वर्ग के कर्मचारी, दुःख, दर्द, परेशानी, अड़चनें, बीमारी, अँधेरा, चमड़ा, कोयले की खानें, सरसों का तेल, खेती बाड़ी, रसायन, मुसीबतें, खाली मकान, नौकरी, मोची I

शनि देव के कारक भाव: छठा भाव (6th House), अष्ठम भाव (8th House), द्वादश भाव (12th House)

शनि देव सभी बुरे भावों के कारक माने जाते हैं इसलिए इन्हे दुःख, दर्द, परेशानी का भी कारक माना जाता है I

राहु (छाया ग्रह):

ज्योतिष के अनुसार असुर स्वरभानु का कटा हुआ सिर है, जो ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा का ग्रहण करता है।

  • समुद्र मंथन के समय स्वरभानु नामक एक असुर ने धोखे से दिव्य अमृत की कुछ बूंदें पी ली थीं। सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और मोहिनी अवतार में भगवान विष्णु को बता दिया। इससे पहले कि अमृत उसके गले से नीचे उतरता, विष्णु जी ने उसका गला सुदर्शन चक्र से काट कर अलग कर दिया। परंतु तब तक उसका सिर अमर हो चुका था। यही सिर राहु और धड़ केतु ग्रह बना और सूर्य- चंद्रमा से इसी कारण द्वेष रखता है।
  • इसी द्वेष के चलते वह सूर्य और चंद्र को ग्रहण करने का प्रयास करता है। ग्रहण करने के पश्चात सूर्य राहु से और चंद्र केतु से,उसके कटे गले से निकल आते हैं और मुक्त हो जाते हैं।

राहु को भ्रमांड का सबसे ख़राब ग्रह माना जाता है तथा राहु शनि देव की परछाई होता है जोकि शनि देव से 4 degree आगे चलती है I इसलिए कुण्डली में अशुभ राहु बहुत ख़राब परिणाम देता है I

#राहु एक पापी तथा क्रूर ग्रह है I
  • राहु देव को लम्बी चलने वाली बीमारियों का कारक माना जाता है I
  • राहु देव को समाज में सारी गलत Activities का कारक माना जाता है जैसे Illegal Activities, ठगी, बुरे काम, ड्रग अडिक्शन, जुआरी, शराबी तथा लॉटरी में नुक्सान का कारक ग्रह माना जाता है I

राहु अँधेरे का कारक माना जाता है इसीलिए राहु के दान एवं उपाय सूर्यास्त के बाद ही करें तभी उपाय लाभप्रद होंगे I

  • लग्न कुण्डली में राहु देव की स्थित जानने के बाद ही पता चलता है की आपके लिए राहु शुभ है या अशुभ I
  • राहु का दान सिर्फ तभी किया जायेगा जब लग्न कुण्डली में राहु मारक/शत्रु ग्रह बनेंगे ! भूल कर भी योग कारक राहु का दान एवं उपाय न करें I

केतु ग्रह (छाया ग्रह) :

  • केतु एक छाया ग्रह है जोकि मंगल की परछाई माना जाता है I केतु का मानव जीवन एवं पूरी सृष्टि पर अत्यधिक प्रभाव रहता है। कुछ मनुष्यों के लिये ये ग्रह ख्याति पाने का अत्यंत सहायक रहता है।

केतु भावना भौतिकीकरण के शोधन के आध्यात्मिक प्रक्रिया का प्रतीक है और हानिकर और लाभदायक, दोनों ही ओर माना जाता है, क्योंकि ये जहां एक ओर दुःख एवं हानि देता है, वहीं दूसरी ओर एक व्यक्ति को देवता तक बना सकता है।

  • यह व्यक्ति को आध्यात्मिकता की ओर मोड़ने के लिये भौतिक हानि तक करा सकता है। यह ग्रह तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ और अन्य मानसिक गुणों का कारक है।
  • केतु एक नकारात्मक ग्रह माना जाता है I
  • केतु को मोक्ष प्राप्ति का भी कारक माना जाता है I
  • केतु की दृष्टि यदि चतुर्थ भाव पर पड़े तोह विदेश Settlement का भी कारक ग्रह माना जाता है I

केतु बीमारियों का कारक माना जाता है जैसे रीढ़ की हड्डी, हड्डियों के बीच तरलता, कैंसर, बबासीर, फोड़े फुंसी, दाँत सम्बन्धी रोग कारक माना जाता है I

ग्रहों के तत्व:

ग्रहों का लिंग निर्धारण:

About the Author & Astrologer 

The author, Somvir Singh has pursued his Mechanical Engineering from HBTU Kanpur in 2012. Later, he joined IIT Roorkee for Post graduation, and after an year he left the institute due to financial problem and joined PSU HEC Ltd, Ranchi in January 2014. Thereafter, he faced some unforeseen problem in life and consulted to a few astrologers but none were to his satisfaction nor the problem went away. And this is when his journey begun in the field of astrology. After doing research in astrology for more than a couple of years, he has put his learnings and findings in 217 pages as “Self Made Destiny”. In this book, he has covered all articles scientifically.

The book is specifically written for anyone who likes to read day-to-day astrology predictions, want to know about yourself and eventually learn astrology.

The book is dedicated to his wife who had been a constant support in this journey.

Best Astrologer Award in Global Business Award 2021, New Delhi from Miss Prachi Desai
Mr. Somvir Singh (B.Tech – HBTU Kanpur, M.Tech – IIT Roorkee, Expertise in Vedic Astrology)
Author :  Self Made Destiny (Astrology Book), ISBN: 978-93-5427-087-1

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