वक्रीय (Retrograde) तथा अस्त (Combust) गृह का क्या अर्थ है ?

सभी ग्रह अपनी चाल चलते – चलते वक्रीय होते हैं परन्तु इस बात को सदैव स्मरण रखना चाहिए कि सूर्य और चन्द्रमा कभी भी वक्रीय नहीं होते हैं l ये सदैव मार्गीय चलते हैं (इसीलिए बीता हुआ समय कभी भी वापस लौटकर नहीं आता है l)

वक्रीय ग्रह का सही अर्थ :

जब भी कुण्डली में कोई ग्रह वक्रीय होता है तो उसके परिणाम देने की क्षमता में तीन गुना वृद्धि हो जाती है I इसी कारण राहु और केतु (सदैव वक्रीय चलते हैं) का प्रभाव अधिक माना जाता है I

  • यदि कुण्डली में योग कारक ग्रह वक्रीय हो तो उसकी योग कारकता में तीन गुना वृद्धि हो जाती है और यदि मारक ग्रह कुण्डली में वक्रीय हो तो उसका मारकेत्व तीन गुना बढ़ जाता है l
  • जबकि बहुत सारे जातकों की यह गलत धारणा रहती है कि वक्रीय ग्रह सदैव अच्छा होता है और अपने से पिछले भाव का फल देता है जो कि शास्त्रानुसार नहीं है l

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अस्त ग्रह (combust planet):

जो भी ग्रह सूर्य के आस – पास 12° से 17° तक आ जाए, वह अस्त अवस्था का माना जाता है l सरल भाषा में हम यह कह सकते हैं कि जो ग्रह अस्त हुआ है, उसकी किरणों की कमी सूर्य के साथ होने से हो गई है और हमारे शरीर में उन किरणों का पूर्ण प्रवेंश नहीं हो पाया l इसीलिए अस्त ग्रह को कुण्डली में बलहीन माना जाता है l

  • सूर्य हर ग्रह को अस्त करने की क्षमता रखता है लेकिन वह राहु और केतु जैसे छाया ग्रह को अस्त नहीं करता बल्कि उनके प्रभाव में आकर सूर्य स्वयं ग्रहण योग में आकर दूषित हो जाता है l
  • सूर्य अपने से एक भाव आगे या पीछे बैठे ग्रह को अस्त कर सकता है I यदि कोई भी ग्रह (राहु, केतु को छोड़कर) सूर्य के साथ 12 – 17 ° तक नजदीक आ जाता है तोह वह ग्रह सूर्य से अस्त हो जाता है और उस ग्रह की किरणें हमारे शरीर तक नहीं पहुंच पाती हैं क्यूंकि वह ग्रह सूर्य की किरणों के पीछे चला जाता है इसलिए अस्त ग्रह के परिणाम देने में बहुत बड़ी कमी आ जाती है I
  • यदि कुण्डली का योग कारक ग्रह (मित्र ग्रह) किसी भी भाव में अस्त हो जाता है तोह उस ग्रह का रत्न धारण किया जाता है I रत्न धारण करने से हमारे शरीर पर अस्त ग्रह से किरणें आना शुरू हो जाती हैं और हमें जीवन में आगे बढ़ने में मदद करती हैं I
  • यदि कुण्डली का मारक ग्रह (शत्रु ग्रह) अस्त हो जाता है तोह उसके अशुभ प्रभाव में कमी आ जाती है क्यूंकि हमारे शरीर पर अस्त ग्रह की किरणें काम हो जाती हैं जोकि जातक के लिए अच्छा माना जाता है I
  • मारक ग्रह के अस्त होने से उसकी नकारात्मक किरणों में कमी आ जाती है और हमें कम परेशानियाँ होती हैं I

योग कारक ग्रहों का अस्त होना कुण्डली को कमजोर करता है I

मारक ग्रहों का अस्त होना कुण्डली के लिए शुभ माना जाताहै I

About the Author & Astrologer 

The author, Somvir Singh has pursued his Mechanical Engineering from HBTU Kanpur in 2012. Later, he joined IIT Roorkee for Post graduation, and after an year he left the institute due to financial problem and joined PSU HEC Ltd, Ranchi in January 2014. Thereafter, he faced some unforeseen problem in life and consulted to a few astrologers but none were to his satisfaction nor the problem went away. And this is when his journey begun in the field of astrology. After doing research in astrology for more than a couple of years, he has put his learnings and findings in 217 pages as “Self Made Destiny”. In this book, he has covered all articles scientifically.

The book is specifically written for anyone who likes to read day-to-day astrology predictions, want to know about yourself and eventually learn astrology.

The book is dedicated to his wife who had been a constant support in this journey.

Best Astrologer Award in Global Business Award 2021, New Delhi from Miss Prachi Desai
Mr. Somvir Singh (B.Tech – HBTU Kanpur, M.Tech – IIT Roorkee, Expertise in Vedic Astrology)
Author :  Self Made Destiny (Astrology Book), ISBN: 978-93-5427-087-1

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2 thoughts on “वक्रीय (Retrograde) तथा अस्त (Combust) गृह का क्या अर्थ है ?”

  1. Waw… Such a great knowledge . Har point ko baareeke se cover kiya hai… Never Seen such type of explanation. Sir i have booked appointment for 1 year support and paid fees. Kindly explain kundali asap

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