Basics of Astrology
प्रस्तावना:
ज्योतिष विज्ञान की जिज्ञासा लोगों में इसलिए ज्यादा होती है क्यूंकि मनुष्य को भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है ऐसे जानने की इच्छा हमेशा बनी रहती है । इसलिए हर इन्सान इस विद्या का कहीं न कहीं सहारा लेकर अपना भविष्य जानने की कोशिश करता है । इस विद्या की मदद से हम यह तोह जान सकते हैं कि हमारा अच्छा समय कब आएगा और साथ – साथ इस बात का भी ज्ञान हो जाता है कि हम अपने बुरे वक्त में किन – किन उपाय तथा दान की मदद से अपना जीवन जीने लायक बना सकते हैं।
यह विद्या हमें जीवन जीने का सही मार्ग दिखती है। यह विद्या एक ऐसा सत्य है जिसे महर्षि पराशर जी ने युगों पहले जान लिया था। इसलिए उन्हें इस विद्या का पिता माना जाता है, जिन्होंने युगों पहले यह गड़ना करके जान लिया था कि ग्रहों की चाल बदलने से मनुष्य के जीवन बदलाव आते हैं। जिस तरह करोङो मील सूर्य और चन्द्रमा की गर्मी और शीतलता हमारे शरीर को प्रभावित करती है वैसे ही बाकी के ग्रहों की किरणें हमारे शरीर को प्रभावित करती हैं। इन किरणों का हमारे शरीर पर प्रभाव हमारे शरीर की अच्छी बुरी अवस्था का निर्णय करती हैं।
हर इन्सान अपने कर्म से अपना भविष्य तक बदल सकता है। हम अपने कर्मों से ग्रहों से आने वाली किरणों को कम या ज्यादा कर सकते हैं। दान करने से हमारे शरीर पर पड़ रही ग्रहों की किरणों को कम किया जाता है क्यूंकि यह भी श्रष्टि का नियम है कि जो भी वस्तु हम दान करते हैं, वह वस्तु हमारे पास से कम हो जाती है तथा वह वस्तु जिस ग्रह से सम्बंधित है उस ग्रह का प्रभाव हमारे शरीर से कम हो जाता है। इसलिए दान सदैव मारक (शत्रु) ग्रह का किया जाता है जिस से हमारे शरीर से उस ग्रह की नकारात्मक ऊर्जा कम हो जाए । जैसे ही हम नकारात्मक किरणों को हम अपने शरीर से दान की मदद से कम करते हैं वैसे ही आने वाली समस्याएं टल जाती हैं।
ग्रहों की किरणों को शरीर में बढ़ाने के कुछ तरीके हैं यदि हम उस ग्रह से सम्बंधित रंग के कपड़े अधिक से अधिक पहनें तो किरणों में 10-15% की वृद्धि हो जाती है तथा रत्न धारण करने से ग्रह की किरणें कई गुना बढ़ जाती हैं इसलिए इन्सान को रत्न की सलाह दी जाती है जब योग कारक ग्रह से आने वाली अच्छी किरणों में कमी आती है तोह ।
रत्न का काम होता है ग्रह से आने वाली किरणों को शरीर में बढ़ाना यदि हम योगकारक (मित्र) ग्रह का रत्न धारण करते हैं तोह हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है जिस की मदद से हम जीवन में आगे बढ़ते हैं। इसलिए सदैव योगकारक ग्रह का ही रत्न धारण करना चाहिए।
शत्रु ग्रह का दान और मित्र ग्रह का रत्न धारण करने से हम अपने जीवन में आने वाली समस्याओं को कम कर सकते हैं तथा अच्छे समय में तीन-चार गुना अच्छा परिणाम ले सकते हैं। इसलिए इन्सान को सदैव अच्छा कर्म करना चाहिए उसी से वह अपने जीवन को जीने लायक बना सकता है और अपने भविष्य को भी बदल सकता है।
कुण्डली के योग (50%) + इन्सान का कर्म/मेहनत (50%) = भविष्य को प्रभावित करता है ।
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ज्योतिष की परिभाषा :
बहुत सारे लोगों को ज्योतिष की परिभाषा की सही जानकारी नहीं होती है वह सिर्फ ज्योतिष को ग्रहों की गड़ना मान लेते हैं l
इसकी सही परिभाषा :
ज्योति + ईश = ईश्वर की ज्योति
‘ज्योतिष’ शब्द ‘ज्योति’ और ‘ईश’ से मिलकर बना है अर्थात ‘ईश्वर की ज्योति’ जो हमें जीवन जीने का सही मार्ग दिखाती है l जिससे हम अपने जीवन में आ रही मुश्किलों को कम करके जीवन के बुरे समय में ग्रहों के बुरे प्रभाव को कम कर सकते हैं l
ग्रहों का प्रभाव:
हमारा शरीर पंचतत्वों से बना है l ग्रहों की किरणों से ही हमारा शरीर चलता है l सूर्यमण्डल से ग्रहों की किरणें हमारे शरीर पर पड़ती है l जिस समय इन्सान का जन्म होता है उस वक्त सभी ग्रहों की किरणों का प्रभाव उसके शरीर पर पड़ता है वही प्रभाव उसकी जन्म कुण्डली को दर्शाती है l यह विद्या उन्ही किरणों का प्रभाव जानकर उसके उपाय करके जातक का जीवन जीने लायक बनाती है l किरणों के प्रभाव से आपकी जो जन्म लग्न कुण्डली बनती है उसी से आपके जीवन का निर्णय होता है l
कुण्डली:
कुण्डली हमारे शरीर पर पड़ रहे ग्रहों के प्रभाव को दर्शाती है l इससे यह पता चलता है कि हमारे शरीर के किस अंग पर किस ग्रह का कैसा और कितना प्रभाव पड़ रहा है तथा वह हमारे शरीर पर अपनी दशा-अन्तर्दशा में कैसा प्रभाव देगा क्यूंकि कुण्डली के 12 भाव हमारे शरीर के सभी अंगों की जानकारी देते हैं l
लोगों के मन में इस विद्या को लेकर बहुत सारी गलतफहमियां हैं कि यह पैसे वालों के लिए ही है जबकि सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत है l उपायों के लिए नकद की नहीं नीयत की जरुरत है l उपाय Rs 2 से भी हो जाता है l उपाय सिर्फ श्रद्धा पूर्वक किया जाना चाहिए l
About the Author & Astrologer :
The author, Somvir Singh has pursued his Mechanical Engineering from HBTU Kanpur in 2012. Later, he joined IIT Roorkee for Post graduation, and after an year he left the institute due to financial problem and joined PSU HEC Ltd, Ranchi in January 2014. Thereafter, he faced some unforeseen problem in life and consulted to a few astrologers but none were to his satisfaction nor the problem went away. And this is when his journey begun in the field of astrology. After doing research in astrology for more than a couple of years, he has put his learnings and findings in 217 pages as “Self Made Destiny”. In this book, he has covered all articles scientifically.
The book is specifically written for anyone who likes to read day-to-day astrology predictions, want to know about yourself and eventually learn astrology.
The book is dedicated to his wife who had been a constant support in this journey.
Best Astrologer Award in Global Business Award 2021, New Delhi from Miss Prachi Desai
Mr. Somvir Singh (B.Tech – HBTU Kanpur, M.Tech – IIT Roorkee, Expertise in Vedic Astrology)
Author : Self Made Destiny (Astrology Book), ISBN: 978-93-5427-087-1
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Sir ek bar panchang se Jana kindly banana ka Vedic