कर्क लग्न और मांगलिक योग

1. प्रथम भाव में मंगल: कर्क लग्न की कुण्डली में यदि मंगल देवता लग्न भाव में विराजमान हों, तो जातक मांगलिक होता है l इस कुण्डली में चाहे मंगल ग्रह चन्द्रमा ग्रह के बाद मन जाने वाला अति योग करक ग्रह है परन्तु लग्न में नीच का हों जाने के कारण मंगल ग्रह नकारात्मक हों …

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मिथुन लग्न और मांगलिक योग

1. प्रथम भाव में मंगल: मिथुन लग्न की कुण्डली में यदि मंगल देवता पहले भाव में विराजमान हों तो जातक मांगलिक होता है क्यूंकि इस कुण्डली में मंगल अतिमारक ग्रह है l लग्नेश का विरोधी है तथा छठे भाव एवं ग्यारहवें भाव का स्वामी है l यदि मंगल ग्रह लग्न में पड़े हैं तो अवश्य …

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वृष लग्न और मांगलिक योग

 1. प्रथम भाव में मंगल : वृष लग्न की कुण्डली में यदि मंगल देवता पहले भाव में विराजमान हों तो जातक को मांगलिक नहीं माना जाता है क्यूंकि मंगल ग्रह की सातवीं दृष्टि सातवें भाव पर पड़ती है जो उसका अपना भाव है l यहाँ मंगल अपने भाव को बचाता है l इसलिए शास्त्रानुसार यहाँ …

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मेष लग्न और मांगलिक योग

1. प्रथम भाव में मंगल: मेष लग्न की कुण्डली में मंगल अति शुभ ग्रह माना जाता है l जब मंगल देवता अपनी मूल – त्रिकोण राशि में विराजमान हों, तो जातक को मांगलिक नहीं माना जाता है क्यूंकि यहाँ मंगल रुचुक नामक पंच महापुरुष योग बनाता है तथा लग्न में स्थित मंगल जातक को एक …

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विपरीत राजयोग

त्रिक स्थान के स्वामी (अर्थात छठे/ आठवें/ बारहवें भावों के स्वामी) लग्न कुण्डली के मारक ग्रह होते हुए भी, यह आवश्यक नहीं कि ये ग्रह हमेशा बुरा फल ही दें I छठे/ आठवें/ बारहवें भावों के स्वामी यदि विपरीत राजयोग में हों तो जातक को अच्छा फल देने में सक्षम होते हैं l परिभाषा: विपरीत …

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पंच महापुरुष योग – राजयोग

यह योग केबल मंगल, बुध, बृहसपति, शुक्र और शनि ग्रह द्वारा ही बनता है l चन्द्रमा, सूर्य, राहु, केतु – यह योग नहीं बनाते हैं l पंच महापुरुष योगों में ग्रह का बलवान और शुभ होना अति अनिवार्य है l योग कारक ग्रह और सम ग्रह ही कुण्डली में यह योग बनाते हैं l मारक …

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ग्रहों की युति से बनने वाले राजयोग

योग विवेचन : दो ग्रहों का एक साथ बैठना ही योग कहलाता है l एक साथ बैठने को युति कहते हैं l यह योग कुण्डली के अनुसार अच्छा या बुरा होता है l ग्रहों की युतियां: हर कुण्डली में दो या तीन ग्रहों की युति अवश्य होती है l कुण्डली के किसी भाव में यदि …

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गोचर (Transit) का विवेचन

गोचर का अध्यन किये बिना किसी भी नतीजे पार पहुंचना कठिन (असंभव) होता है l गोचर को सदा लागू करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि गोचर जन्म लग्न कुण्डली का आधार होता है l और वह जन्म लग्न कुण्डली पर ही लागू किया जाता है l अगर ग्रह जन्म लग्न  कुण्डली में अच्छा तो …

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शुभ मुहूर्त कैसे देखें ?

हमारे जीवन में हर कार्य को शुरू करने, नई वस्तु खरीदने, घर या दुकान के उद्घाटन करने में मुहूर्त का बहुत महत्त्व होता है l ऐसे बहुत सारे शुभ मुहूर्त प्रत्येक महीने में आते हैं जिनमे नया कार्य करना सर्वदा शुभ होता है l जैसे – स्वार्थ सिद्धि योग, रवि – पुष्य योग, त्रिपुष्कर योग …

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प्रेम विवाह के योग

कुण्डली के पंचम भाव तथा पंचम भाव के स्वामी से जातक के प्रेम सम्बन्ध को देखा जाता है l प्रेम – सम्बन्ध की स्थायी सफलता इस सम्बन्ध के विवाह – सम्बन्ध में बदलने से होती हैं l इसके लिए पंचमेश तथा सप्तमेश का कोई भी सम्बन्ध होना अति – आवश्यक है l यदि पंचमेश और …

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