गण्डमूल नक्षत्र

गण्डमूल: गण्डमूल नक्षत्र छः प्रकार के होते हैं l अगर जातक गण्डमूल नक्षत्र में पैदा हुआ हो तो उस नक्षत्र की शांति करवाना अति अनिवार्य है l अगर गण्डमूल नक्षत्र की शांति नहीं हुई होती तो जातक को पग – पग पर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है l चन्द्रमा का नक्षत्र ही गण्डमूल के …

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विदेश यात्रा तथा विदेश में बसना

विदेश यात्रा तथा विदेश में बसना : विदेश यात्रा तथा विदेश में स्थायी तौर पर बसना दो अलग – अलग बातें हैं l विदेश यात्रा का योग नवम भाव तथा नवम भाव के स्वामी से देखा जाता है l विदेश में स्थायी रूप से बसना बारहवें भाव तथा इस भाव के स्वामी की स्थित से …

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कुण्डली मिलान (सरल भाषा में सीखें)

बहुत सारे विद्वान केवल गुण मिलान को ही कुण्डली मिलान मान लेते हैं I जबकि गुण मिलान केवल 25% ही होता है I आम आदमी बाकि के 75% की विवेंचना करना जरुरी नहीं समझता जिसके कारण कुण्डली मिलान में अच्छे गुण मिलने के बाद भी पति-पत्नी को अलग होते देखा गया है या उनके वैवाहिक …

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कुछ विशेष बातें – ज्योतिष का सम्पूर्ण ज्ञान

हमेशा लग्न कुंडली पर ही ध्यान दिया जाना चाहिए I लग्न राशि ही ज्यादा महत्वपूर्ण होती है I कुण्डली में महादशा और अन्तर्दशा का अच्छा या बुरा प्रभाव केवल और केवल जन्म लग्न कुंडली से ही किया जाता है I कभी भी किसी जातक को रत्न धारण करने का सुझाव राशि अनुसार नहीं दिया जाता …

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कन्या लग्न कुण्डली में ग्रहों के फल

कन्या लग्न वाले जातकों की जन्म लग्न कुण्डली में प्रथम भाव (जिसे लग्न भी कहा जाता है) में कन्या राशि या “6” नम्बर लिखा होता है I नीचे दी गयी जन्म लग्न कुण्डली में दिखाया गया है I योग कारक ग्रह (शुभ/मित्र ग्रह) : बुध देव (1st & 10th  भाव का स्वामी) शुक्र देव (2nd  …

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कुण्डली से स्वम जाने सन्तान सुख तथा सन्तान की सम्पूर्ण जानकारी

सन्तान सुख का योग विशेषकर पति की कुण्डली के पंचम भाव से देखा जाता है जिसका 70% रोल होता है तथा जातिका का इस योग के निर्धारण के लिए 30% रोल माना जाता है l सन्तान सुख योग के लिए निम्नलिखित बातें जाँची जाती हैं – पंचम भाव में कौन सी राशि आती है – …

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विवाह की बात कब चलती है ?

जातक की आयु जब विवाह योग्य हो तो उसके लिए रिश्ते आने का योग तब बनता है जब पंचम भाव के स्वामी की महादशा या अन्तर्दशा या प्रत्यन्तर्दशा चले l कुण्डली में यदि गोचर के बृहस्पति और शनि देव का कोई भी सम्बन्ध लग्न/लग्नेश से बन जाये तो भी रिश्ते आने का योग बनता है …

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घटना घटने का काल कौन से ग्रह निर्धारित करते हैं ?

घटना घटने का काल दो ग्रह निर्धारण करते हैं –     (1) शनि देव                                       (2)  बृहस्पति देव इन दोनों ग्रहों को जीवन में होने वाली हर अच्छी – बुरी घटना का कारण माना जाता है क्यूंकि शनि देव समय को चलायमान रखने वाले ग्रह हैं तथा बृहस्पति देवता हर चीज़ के लिए अनुमति प्रदान करते हैं …

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मीन लग्न कुण्डली में ग्रहों के फल

मीन लग्न वाले जातकों की जन्म लग्न कुण्डली में प्रथम भाव (जिसे लग्न भी कहा जाता है) में मीन राशि या “12” नम्बर लिखा होता है I नीचे दी गयी जन्म लग्न कुण्डली में दिखाया गया है I योग कारक ग्रह (शुभ/मित्र ग्रह) : बृहस्पति  (1st  भाव & 10th भाव का स्वामी) चन्द्रमा (5th  भाव …

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कुम्भ लग्न कुण्डली में ग्रहों के फल

कुम्भ लग्न वाले जातकों की जन्म लग्न कुण्डली में प्रथम भाव (जिसे लग्न भी कहा जाता है) में कुम्भ राशि या “11” नम्बर लिखा होता है I नीचे दी गयी जन्म लग्न कुण्डली में दिखाया गया है I योग कारक ग्रह (शुभ/मित्र ग्रह) : शुक्र देव (4th  &  9th भाव का स्वामी) बुध देव (5th …

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