दान का महत्त्व क्या है ? एक दान किस तरह आपकी परेशानियों को कम करता है
दान-पुण्य:
हमारे जीवन में दान का बहुत महत्त्व होता है जब भी हम दान करते हैं तोह कहीं न कहीं हम सामने वाले इन्सान की मदद करते हैं और साथ ही साथ अपनी भी मदद करते हैं इसलिए शास्त्रों में दान को ज्यादा महत्ता दी गई है । हम जब भी किसी ग्रह से सम्बंधित वस्तु को दान करते हैं तो इसका अर्थ यह हुआ कि जिस भी वस्तु का दान किया जाता है, उस ग्रह की किरणें हमारे शरीर से कम हो जाती हैं क्यूंकि यह भी सृष्टि का नियम है कि जो भी चीज आप बांटते हो वह आपके पास से कम हो जाती है । यह नियम रंग उपचार के नियमों में बहुत ही प्रमुख भूमिका निभाता है
यदि आप अपनी किस्मत बदलना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने ऊपर पड़ रहे ग्रहों के प्रभाव (किरणों) को समझिये और जानने की कोशिश कीजिये कि ऐसे कौन से ग्रह हैं जोह आपको जीवन में आगे बढ़ने में मदद करते हैं और कौन से ग्रह आपको परेशानी में डालते हैं । जो ग्रह आपको परेशानी में डालते हैं उनके प्रभाव को कम कीजिये (दान, पाठ पूजन, कर्म के माध्यम से) और जो ग्रह आपकी मदद करते हैं उनके प्रभाव को बढ़ा लीजिये (रत्न, रंग उपचार और कर्म के माध्यम से) ।
कर्म + भाग्य = हमारा जीवन
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मैं, सोमवीर सिंह, अपने सभी पाठकों का दिल से हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ ।
इस पुस्तक (सेल्फ मेड डेस्टिनी) के माध्यम से आप सभी को ग्रहों के प्रभाव की जानकारी देने का प्रयास कर रहा हूँ । हमारे सूर्यमण्डल में अनगिनत ग्रह हैं जिनमे से 9 ग्रह ऐसे हैं जिनका प्रभाव सम्पूर्ण मानव जाति पर पड़ता है, सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि (वास्तविक ग्रह) और राहु, केतु (छाया ग्रह) इन सभी ग्रहों से हमारे शरीर पर किरणें पड़ती हैं और हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं । कुछ ग्रहों से हमारे शरीर पर सकारात्मक किरणें पड़ती हैं और कुछ ग्रहों से नकारात्मक किरणें पड़ती हैं । सकारात्मक किरणों हमें जीवन में आगे बढ़ने में मदद करती हैं और नकारात्मक किरणें हमारे जीवन में परेशानी बढाती हैं । नकारात्मक किरणों के कारण हमारे शरीर में रोग, मानसिक परेशानी और पारिवारिक कलह कलेश बढ़ती है। यदि हम इन्ही नकारात्मक किरणों को नियंत्रित कर लें तोह हम सब अपनी परेशानियों को काफी हद तक कम कर सकते हैं ।
यदि हम अपने शरीर पर ग्रहों से आने वाली सकारात्मक किरणों को बढ़ा लेते हैं तोह हम अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं और जीवन में काफी तरक्की कर सकते हैं। यदि हम ग्रहों से आने वाली किरणों से सम्बंधित कपड़े, रत्न (महत्वपूर्ण पथ्थर) धारण करते हैं तोह हमारे शरीर पर किरणों की तीव्रता काफी बढ़ जाती है। हमें सकारत्मक किरणों को बढ़ाना है और नकारात्मक किरणों को घटाना है।
नकारात्मक किरणों को कम करने के लिए दो उपाय अपनाये जाते हैं: जल प्रवाह और दान
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1. जल प्रवाह: हमारे शरीर पर जिस ग्रह से नकारात्मक किरणें पड़ती हैं हम उस ग्रह से सम्बंधित वस्तुओं का जल प्रवाह करते हैं । हम सभी जानते हैं कि जब भी कोई वस्तु जल में डालते हैं तो उसकी ऊर्जा शांत हो जाती है क्यूंकि यह सृष्टि का नियम है कि यदि हम आग का गोला भी पानी में डालेंगे तो वह भी शांत होकर प्रभावहीन हो जायेगा । यदि हम अपने हाथों से ग्रह से सम्बंधित वस्तुओं को जल में प्रवाह करते हैं तोह उस ग्रह की नकारात्मक ऊर्जा हमारे शरीर से कम हो जाती है और हमें जीवन जीने में मदद करती हैं ।
2. दान-पुण्य: हमारे जीवन में दान का बहुत महत्त्व होता है जब भी हम दान करते हैं तोह कहीं न कहीं हम सामने वाले इन्सान की मदद करते हैं और साथ ही साथ अपनी भी मदद करते हैं इसलिए शास्त्रों में दान को ज्यादा महत्ता दी गई है । हम जब भी किसी ग्रह से सम्बंधित वस्तु को दान करते हैं तो इसका अर्थ यह हुआ कि जिस भी वस्तु का दान किया जाता है, उस ग्रह की किरणें हमारे शरीर से कम हो जाती हैं क्यूंकि यह भी सृष्टि का नियम है कि जो भी चीज आप बांटते हो वह आपके पास से कम हो जाती है । यह नियम रंग उपचार के नियमों में बहुत ही प्रमुख भूमिका निभाता है ।
जिस समय इन्सान का जन्म होता है उस वक्त सभी ग्रहों की किरणों का प्रभाव उसके शरीर पर पड़ता है वही प्रभाव उसकी जन्म कुंडली को दर्शाती है । यह विद्या उन्ही किरणों का प्रभाव जानकर उसके उपाय करके जातक का जीवन जीने लायक बनाती है । किरणों के प्रभाव से आपकी जो जन्म लग्न कुंडली बनती है उसी से आपके जीवन का निर्णय होता है।
- भूल कर भी ऐसा कोई रत्न धारण न करें जिससे आपके शरीर पर नकारात्मक किरणें बढ़ें । रत्न का चयन करते समय सभी नियामों को ध्यान से पढ़े और लग्न कुंडली में ग्रहों के फल को पढ़ें, ग्रहों का अंश देखें, ग्रहों की स्थित लग्न कुंडली में जरूर देखें, इसके पश्चात् अस्त ग्रह देखें और बताये गए नियम के अनुसार रत्न का चयन करें ।
- रत्न सदैव योगकारक ग्रह का ही धारण करें । एक योगकारक ग्रह भी अपनी स्थित के अनुसार मारक ग्रह बन जाता है । इसलिए रत्न धारण करते समय ग्रहों का अंश तथा ग्रहों की स्थित अवश्य देखें और बताये गए नियमों को अनुपालन करें ।
पितृ दोष के नाम पर भी समाज में कई भ्रम फैले हुए हैं । जो पितृगण अपनी सारी पूँजी और कमाई अपने बच्चों के लिए छोड़ गए, भला वे पितृ अपनी ही सन्तानों के लिए बुरा कैसे कर सकते हैं । उनके आशीर्वाद से तो सदैव वंशजों का भला ही हो सकता है ।
50 % कर्म और 50 % कुंडली के योग
हम सब अपने जीवन में 50 प्रतिशत कर्म और 50 प्रतिशत कुंडली के योग लेकर आए हैं। यदि कुंडली का सही ढंग से अध्यन किया जाए तोह हम सब अपना भाग्य तक बदल सकते हैं क्यूंकि हमारे पास 50 प्रतिशत कर्म है जिसके माध्यम से हम 50 प्रतिशत कुंडली के योग को बदल सकते हैं । हम सब को मारक ग्रह से आने वाली नकारात्मक किरणों को दान-पाठ पूजन और कर्म की मदद से कम करना है और अपने जीवन को सुखमय बनाना है ।
मेरे जीवन का सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि मैं आम जनता के दुखों में काम आ सकूँ और उन्हें जीवन जीने की सही दिशा दिखा सकूँ । यदि आप अपने जीवन में नियमित रूप से मारक (शत्रु) ग्रहों का दान – पाठ पूजन करते रहते हैं और अपने योगकारक ग्रहों का रत्न के माध्यम से बल बढ़ा लेते हैं तोह आप अपनी किस्मत खुद लिखेंगे । क्यूंकि आपने अपने शरीर पर पड़ने वाली नकारात्मक ऊर्जा को नियंत्रित कर लिया है । यही नकारात्मक किरणें हमें जीवन में आगे बढ़ने से रोकती हैं और परेशानी देती हैं ।
आशा है कि इस पुस्तक (सेल्फ मेड डेस्टिनी) के सभी पाठकगणों को मैं ज्योतिष विद्या के सही मार्ग की ओर ले जा पाउँगा ।
भगवान श्री कृष्ण ने भगवत गीता में कर्म को सबसे ज्यादा महत्ता दी है, इन्सान कर्म के आधार पर अपना भाग्य तक बदल सकता है क्यूँकि हम सब इस पृथ्वी पर भाग्य (कुंडली के योग – 50 प्रतिशत) और अपना कर्म (50 प्रतिशत) लेकर आये हैं । मैंने अक्सर लोगों को कहते हुए सुना है कि जोह भाग्य में लिखा है वही होता है । ये बात 50 प्रतिशत सत्य है क्यूँकि इन्सान भाग्य और कर्म दोनों लेकर आया है । भविष्य में होने वाली घटनाएं हमारे कर्म से भी प्रभावित होती हैं और कर्म के आधार पर इन्सान अपने ग्रहों के प्रभाव को कम या ज्यादा कर सकता है।
यदि इन्सान सिर्फ भाग्य (किस्मत) लेकर आता तोह कर्म की महत्ता शून्य हो जाती। फिर इन्सान कर्म भी भाग्य के भरोसे करता । हम सब जानते हैं कि इन्सान जैसा कर्म करता है वैसा इसी जीवन में कभी न कभी अपने कर्म के फल को भोगता जरूर है । यदि इन्सान बुरा कर्म करता है तोह उसका बुरा फल भी जीवन में जरूर भोगता है क्यूँकि शनि ग्रह समय को चलायमान रखते हैं और इन्सान को कर्मो के आधार पर फल देते हैं । कर्म में इतनी शक्ति होती है कि इन्सान खुद अपनी किस्मत लिख सकता है ।
यदि आप अपनी किस्मत बदलना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने ऊपर पड़ रहे ग्रहों के प्रभाव (किरणों) को समझिये और जानने की कोशिश कीजिये कि ऐसे कौन से ग्रह हैं जोह आपको जीवन में आगे बढ़ने में मदद करते हैं और कौन से ग्रह आपको परेशानी में डालते हैं । जो ग्रह आपको परेशानी में डालते हैं उनके प्रभाव को कम कीजिये (दान, पाठ पूजन, कर्म के माध्यम से) और जो ग्रह आपकी मदद करते हैं उनके प्रभाव को बढ़ा लीजिये (रत्न, रंग उपचार और कर्म के माध्यम से) ।
कर्म + भाग्य = हमारा जीवन
कर्म और भाग्य दोनों ही बदलते हैं । कभी हाथों की लकीरों को ध्यान से देखा है, हमारे हाथों की लकीरें समय के साथ – साथ घटती – बढ़ती रहती हैं । इसका सिर्फ एक ही अर्थ हो सकता है कि इन्सान अपने कर्मों से अपने भविष्य को बदल रहा है । यदि भविष्य बदला नहीं जा सकता तोह हाथों की लकीरें अपने आप घटती – बढ़ती क्यूँ रहती हैं ?
मैं इस पुस्तक (सेल्फ मेड डेस्टिनी) के माध्यम से सिर्फ ये बताना चाहता हूँ कि हम सब अपने जीवन में होने वाली घटनाओं को बदल सकते हैं और अपना जीवन सुखमय बना सकते हैं ।
कुछ बड़ा करना है तो अपनी राह खुद चुनो ।
भेड़ – बकरियों की तरह नहीं, शेर की तरह चलो ।।
कितना भी हो कठिन रास्ता, हर हाल में आगे बढ़ो ।
ये दुनिया तुम्हें डराएगी, सताएगी, रुलाएगी, हर रोज एक नया रूप दिखाएगी ।।
पर जिस दिन तुम अपनी मंजिल को पाओगे ।
तब यही दुनिया नाम तुम्हारा जपते – जपते पीछे – पीछे आएगी ।।
कुछ पाना है तो कुछ खोना होगा ।
हसना है तो रोना होगा ।।
चमकना है यदि सोने की तरह तो आग में खुद को तपाना होगा ।
बदलना चाहते हो अपनी किस्मत तो सबसे पहले खुद को बदलना होगा ।।
भूल जाओ तुम कौन हो, बस एक बात को ध्यान में रखो ।
सबसे पहला है अपना काम, बाकी सब उसके बाद रखो ।।
bahut sundar sir…..
very well explained
very well explained