शुभ कात्तर योग:
बहुत कुण्डलियों में कुण्डली का पापी और मारक ग्रह होते हुए भी अपनी दशा या अन्तर्दशा में अशुभ फल नहीं देता जिसका कारण शुभ कात्तर योग होता है I
- Definition :
यदि किसी भी पापी और क्रूर ग्रह के दोनों तरफ शुभ ग्रह बैठ जाएँ तो वह ग्रह शुभ-कात्तर योग में होने के कारण शुभ फल देने में सक्षम हो जाता है I परन्तु इस शुभ कात्तर योग में यह बात सदैव स्मरण रखने योग्य है कि इस योग में आया ग्रह तभी शुभ फल देता है यदि दोनों ओर के शुभ ग्रहों का अंश अनुसार बलाबल अच्छा हो I
- शुभ कात्तर योग कौन से ग्रह बनाते हैं :- बृहस्पति, मंगल, सूर्य और चंद्र
पाप कात्तर योग :
अनेक कुण्डलियों में कुण्डली का अच्छा और योग कारक ग्रह होते हुए भी अपनी दशा या अन्तर दशा में शुभ फल नहीं देता जिसका कारन पाप-कात्तर योग होता है I
- Definition :
यदि किसी भी अच्छे ग्रह के दोनों तरफ पापी ग्रह बैठ जाएं तो वह ग्रह पाप-कात्तर योग में होने के कारन शुभ फल देने में सक्षम नहीं रहता I परन्तु इस पाप – कात्तर में यह बात सदैव स्मरण रखने योग्य है कि इस योग में आया ग्रह तभी अशुभ फल देता है यदि दोनों ओर के पापी ग्रहों का अंश अनुसार बलाबल अच्छा हो I
- पाप-कात्तर योग कौन से ग्रह बनाते हैं : – शनि, राहु, केतु
गुरु पाप-कात्तर योग में हैं क्यूंकि उसके दोनों तरफ पापी ग्रह स्थित हैं इसलिए वह बुरे फल देगा I
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